Kundali Bhagya 1434 के पिछले भाग में प्रीता नीचे उतरती है.क्या शादी में गुंडे ड्रामा करेंगे? क्या शादी रुक जाएगी? पृथ्वी अगली चाल कौन सी चलेगा? इन सभी सवालों के जवाब आज जानेंगे. तो चलिए शुरू करें..
पोस्ट में आगे बढ़ने से पहले आज का विचार: “गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुश्बू बिखेरता है। उसकी ख़ुश्बू ही उसका संदेश है”.- महात्मा गांधी
Kundali Bhagya 1434 की शुरुआत में बहुत खुबसूरत दिख रही प्रीता ” मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥” अर्थात् (भगवान विष्णु मंगल करें , कल्याण करे ,गरुण की सवारी करने वाले विष्णु मंगल करें , कमलनयन भगवान विष्णु मंगल करे , भगवान हरि सबका मंगल करें) के पवित्र म्यूजिक के बीच मंडप के पास आती है. तभी ऋषभ उसके खूबसूरती की तारीफ कर देता है, और जवाब में अर्जुन ‘आखिर बीवी मेरी है’ कहते हुए खड़ा हो जाता है.
इधर ऋषभ धीरे से प्रीता की तरफ बढ़ता है और माहौल में सन्नाटा छा जाता है. अचानक ऋषभ प्रीता की ओर अपना हाथ बढ़ाता है. सब की धड़कन बढ़ने लगती हैं. और सृष्टि और कृतिका ये सोचकर खुश होने लगती हैं कि अब मज़ा आएगा, ऋषभ शादी रुकवा देगा. Kundali Bhagya 1434 में इस प्रकार के काफी सरे सस्पेंस हैं.
ऋषभ हौले से प्रीता का हाथ पकड़कर मंडप की ओर बढ़ता है जहाँ अर्जुन खड़ा होता है. ऋषभ कहता है अगर ये शादी उसकी माँ और प्रीता जी को मंजूर न होती तो दुनिया का कोई ताकत इस शादी को नहीं करवा सकता था. क्योंकि उसके लिए दुनिया में ये दो ही लोग सबसे ज्यादा महत्त्व रखते हैं.
लेकिन ये शादी उन्हें मंजूर है इसलिए दुनिया की कोई ताकत इसे रोक नहीं सकती ऐसा कहते हुए ऋषभ प्रीता का हाथ अर्जुन के हाथ में सौंप देता है. जिससे उसके माँ बाप खुश होते हैं वहीं सृष्टि और कृतिका के तो होश फाख्ता हो जाते हैं. और वो लोग कैसे भी कर के शादी रोकने का प्लान सोचने लगते हैं.
तभी पंडित जी ने सुपाड़ी मांगी जिसे लेने के लिए राखी मॉम सृष्टि को किचन में भेज देती हैं और अक्षत लेने कृतिका को. इतने में बाहर गुंडे गेट के पास पहुँच जाते है और अन्दर जाने लगते हैं तब अपने मालिक के आदेशानुसार गार्ड्स उन्हें अपना फोन जमा करने के लिए कहते हैं. और वे उन्हें पीटकर साइड में हटा देते हैं.
अंदर मंडप में पंडित जी प्रीता और अर्जुन को एक दूसरे के गले में वरमाला डालने को कहते हैं. वे दोनों अपनी पहली शादी के बारे में याद कर रहे होते हैं. वरमाला डालते हुए प्रीता अपने मन में अर्जुन से कहती है कि आज तुम्हारे सिर पर सेहरा की जगह, चेहरे के पीछे चेहरा है. पर कुछ भी हो तुम मेरे करन हो. वरमाला के बाद पंडितजी के आदेशानुसार राखी मॉम उनका गठबंधन करतीं हैं.
अब पुराने सुनहरी मीठी यादों के साथ फेरे शुरू हो ही रहा होता है कि गुंडे हॉल में पहुँच जाते हैं और हवाई फायर करने लगते हैं. सब लोग चौंक जाते हैं. तभी मम्मी जी धीरे से कान में कहती हैं की ये सृष्टि के बुलाये हुए गुंडे हैं जो शादी रुकवाने के लिए आये हैं. पृथ्वी प्रीता पर जोर से चिल्लाते हुए ऊँची आवाज में बात नहीं करने के लिए कहता है.
तभी मम्मी जी, सबके मना करने के बावजूद Kundali Bhagya 1434 के बीच में जाकर पृथ्वी को बहुत कॉमेडी अंदाज़ में चांटा जड़ देती है. और सृष्टि की बहन प्रीता को परेशान नहीं करने के लिए कहती हैं. तब शम्भू बताता है की वे लोग किसी सृष्टि के बुलाने से नहीं आये है वो गुंडे हैं और डाका डालने आये हैं. यह सुनकर अर्जुन गुस्से से खौलने लगता है.
पृथ्वी नकाब पहनकर अमीरी और गरीबी का भाषण देता है. कहता है की लूथरा और सूर्यवंशी को भगवान ने जरुरत से ज्यादा धन दे दिया और उन्हें कुछ नहीं आज इसी खाई को वो पाटने आये हैं. ऐसा कहते हुए उसने सभी को अपने जेवर उतारकर चुपचाप उन्हें देने के लिए कहता है.
जिस पर ऋषभ किसी को कुछ नहीं देने की बात करता है और चूँकि किसी के पास वहां फोन नहीं होता है. वह इमरजेंसी अलार्म को दबाने की बात करता है.और जैसे ही दबाता है उनमे से एक गुंडा उन्हें चिढाने के लिए मुह से सायरन बजता है, क्योंकि अलार्म तो उनहोंने पहले ही कट दिया होता है.
फिर घर के सभी मर्दों और गुंडों के बीच घमासान लड़ाई होने लगता है जिसमे भाग लेते हुए राखी पॉट फेंककर पृथ्वी के सिर पर दे मारती है. अब आगे यह देखना बहुत ही रोमांचक होगा की लूथरा फॅमिली कैसे एक दूसरे का साथ देते हुए इस संकट की घडी से बाहर निकलते हैं या कोई अनहोनी होती है.
Kundali Bhagya 1434 के बाद अब देखना यह है कि गुंडों की हाई वोल्टेज ड्रामा कब तक चलेगा? क्या शादी रुक जाएगी? पृथ्वी अगली चाल कौन सी चलेगा? क्या परिवार इस मुसीबत से बच पायेगी? इन सारे सवालों के जवाब आपको हमारे अगले एपिसोड में मिलेगा.
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जाने से पहले जरा मुस्कुरा कर जायें:
महिला- डॉक्टर साहब, मेरे पति नींद में
बातें करने लगे हैं! क्या करूँ?
डॉक्टर- उन्हें दिन में बोलने का
मौका दीजिए!
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